चरवाहे का बेटा बना आईपीएस! बिरदेव डोणे की संघर्ष और सफलता की कहानी
कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों, तो हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, इंसान अपनी मंज़िल जरूर पा लेता है। यही बात साबित की है पीएस बिरदेव डोणे ने—एक ऐसे शख्स जिन्होंने बचपन में खेतों में बकरी चरा कर, मिट्टी से खेलते हुए अपने बड़े सपनों को जिंदा रखा और IPS बनकर देश की सेवा का सपना पूरा किया।
🐐 शुरुआत एक छोटे से गांव से
पीएस बिरदेव डोणे महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक छोटे से गांव से आते हैं। उनका परिवार एक साधारण किसान परिवार है। बचपन में उन्होंने अपने पिता के साथ खेतों में काम किया और बकरियां चराईं। आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी उनके जीवन का हिस्सा रही, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
📚 शिक्षा बनी क्रांति की चिंगारी
बिरदेव जी का झुकाव शुरू से ही पढ़ाई की ओर था। गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ाई की, और फिर कॉलेज में दाखिला लिया। जहां दूसरे युवा साधनों की कमी से घबरा जाते हैं, वहीं बिरदेव जी ने इसी कमी को अपनी ताकत बना लिया।
दिन में खेतों में मेहनत, और रात को लालटेन की रोशनी में पढ़ाई—यही थी उनकी दिनचर्या।
🔥 UPSC का सपना और संघर्ष
UPSC की तैयारी कोई आसान काम नहीं होती, खासकर तब जब आपके पास ना कोचिंग हो, ना किताबें और ना ही गाइडेंस। लेकिन पीएस बिरदेव डोणे ने आत्मविश्वास और मेहनत से अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाए।
कई बार असफलता मिली, लेकिन हर बार उन्होंने और ज़ोर से कोशिश की। आखिरकार, उनके प्रयास रंग लाए और वे IPS बने।
🎖️ आज एक प्रेरणा, कल के लिए एक उदाहरण
आज बिरदेव जी सिर्फ एक IPS अधिकारी ही नहीं, बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो ग्रामीण परिवेश से आते हैं और सोचते हैं कि बड़ी सफलता सिर्फ बड़े शहरों के लोगों को मिलती है।
उन्होंने यह साबित किया है कि हालात नहीं, हौसले मायने रखते हैं।
✨ सीखने योग्य बातें:
✅ संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता
✅ संसाधन नहीं, संकल्प ज़रूरी है
✅ असफलताएं रास्ते की सीख हैं
✅ शिक्षा से बड़ी कोई पूंजी नहीं
अगर बिरदेव डोणे जैसे लोग सफलता की ऊंचाई छू सकते हैं, तो आप क्यों नहीं?
अपने सपनों को छोटा मत समझिए। बस एक फैसला लीजिए—रुकना नहीं है।