DeepSeek का धमाका: अमेरिकी AI बाजार को 1.5 ट्रिलियन डॉलर का झटका
अमेरिका की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कंपनियों के लगातार बढ़ते प्रभुत्व को चीनी स्टार्टअप DeepSeek ने एक चुनौतीपूर्ण झटका दिया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: संभावनाओं का भविष्य और चिंताएं
पिछले कुछ महीनों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक पर चर्चा जोरों पर है। इस तकनीक के बढ़ते उपयोग से बैंकिंग, रिटेल, डेटा एनालिटिक्स और IT जैसे क्षेत्रों में मानवीय श्रम की आवश्यकता काफी कम हो सकती है। इसके चलते रोजगार में कमी की आशंका बढ़ रही है, और इस पर कई बहसें चल रही हैं।
AI तकनीक के विकास में अमेरिकी कंपनियां जैसे Microsoft, Meta, और OpenAI सबसे आगे हैं। इस तकनीक के लिए जरूरी एडवांस चिप्स NVIDIA कंपनी द्वारा बनाई जाती हैं। AI का बाजार न सिर्फ अमेरिका में बल्कि पूरी दुनिया में फैला हुआ है। इससे इन अमेरिकी कंपनियों को भारी मुनाफा होने की उम्मीद थी, और इसी विश्वास के चलते इनके शेयर पिछले कुछ सालों में रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गए।
DeepSeek: एक छोटी सी चिंगारी, बड़ा असर
सोमवार को इस अमेरिकी प्रभुत्व को एक झटका लगा। कारण था एक छोटा चीनी स्टार्टअप – DeepSeek।
DeepSeek ने यह दिखाया कि वे वही AI प्रोडक्ट्स, जो अमेरिकी कंपनियां बहुत महंगे दामों पर बेच रही हैं, 5-10% कीमत पर समान क्षमता के साथ उपलब्ध करा सकते हैं।
इस घोषणा का असर इतना जबरदस्त था कि महज एक दिन में अमेरिकी टेक कंपनियों का बाज़ार मूल्य $1.5 ट्रिलियन (1.5 लाख करोड़ डॉलर) गिर गया। तुलना करें तो भारत के पूरे शेयर बाजार का कुल मूल्य $5 ट्रिलियन है और भारत की GDP $3.5 ट्रिलियन।
NVIDIA के शेयर में 17% की गिरावट देखी गई।
छोटे स्टार्टअप की ताकत
नीचे दिए गए आंकड़े छोटे स्टार्टअप की ताकत को दिखाते हैं (सोर्स: मनी कंट्रोल):
- OpenAI, जो 10 साल पुरानी अमेरिकी कंपनी है, ने अब तक $6600 मिलियन का निवेश किया है और इसमें 4500 कर्मचारी काम करते हैं।
- वहीं, DeepSeek, जो सिर्फ 2 साल पुरानी कंपनी है, ने केवल $6 मिलियन के निवेश और 200 कर्मचारियों के साथ उतने ही सक्षम AI प्रोडक्ट्स तैयार किए हैं।
कम निवेश और कम संसाधनों के कारण DeepSeek बेहद कम कीमत पर अपने प्रोडक्ट्स बेच पा रही है। इसका सीधा असर यह हुआ कि अमेरिकी AI कंपनियों के भारी मुनाफे की संभावनाओं पर सवाल खड़े हो गए।
अमेरिका बनाम चीन: एक रणनीतिक मुकाबला
अमेरिका ने पहले ही अपनी कंपनियों को सेमीकंडक्टर तकनीक के निर्यात पर रोक लगा दी है। लेकिन चीन ने जैसे शतरंज के खेल में चाल चलने से पहले विरोधी के हर संभावित कदम का विश्लेषण किया हो, वैसी ही रणनीति पहले से तैयार कर रखी थी।
टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स की जरूरत
यह घटना साबित करती है कि छोटे स्टार्टअप्स की ताकत इतनी होती है कि वे विशाल कंपनियों का दबदबा भी खत्म कर सकते हैं, खासतौर पर तकनीकी क्षेत्र में।
एक छोटी सी “टेक्नोलॉजी टाचणी” (सुई) बड़े-बड़े मोनोपॉली फुग्गों (मोनोपॉली का बुलबुला) को फोड़ सकती है। लेकिन यह भी ध्यान देने योग्य है कि बड़ी कंपनियां इतनी शक्तिशाली होती हैं कि अपने मुनाफे और पेटेंट की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं।
भारत को इस प्रकार के हजारों तकनीकी स्टार्टअप्स की सख्त जरूरत है। यही हमारी भविष्य की नींव बन सकते हैं।
Content by संजीव चांदोरकर