Chhatrapati Shivaji Maharaj’s Coronation: History That Fuels the Future 🚩
6 जून 1674… यह कोई सामान्य तिथि नहीं थी। यह वह दिन था जब भारत की मिट्टी ने अपने सच्चे पुत्र का राज्याभिषेक होते देखा — छत्रपती शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक सोहळा, जिसने न केवल स्वराज्य की नींव को मजबूत किया, बल्कि एक पूरे राष्ट्र को आत्मसम्मान, धर्म और संस्कृति की पुनर्परिभाषा दी।
BSR की दृष्टि से शिवाजी महाराज का यह क्षण सिर्फ इतिहास नहीं, प्रेरणा का जीवंत स्त्रोत है।
शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक क्या सिखाता है हमें?
1. दृष्टि स्पष्ट हो तो असंभव कुछ नहीं
शिवाजी महाराज ने बचपन से ही स्वराज्य का सपना देखा। कठिनाइयाँ आईं, मुगलों और निजामों का आतंक था, लेकिन उनकी दृष्टि कभी डगमगाई नहीं। CoachBSR के हर विज़न डिस्कवरी सेशन में यही सिखाया जाता है — दृढ़ संकल्प ही परिवर्तन की चाबी है।
2. नेतृत्व का सार – अपने लोगों के लिए जीना
शिवाजी ने कभी भी सत्ता के लिए नहीं लड़ा। उन्होंने जन-जन को सुरक्षित, सम्मानित और स्वतंत्र बनाने के लिए तलवार उठाई। CoachBSR की लीडरशिप ट्रेनिंग्स में यही मूल मंत्र है – सेवा से नेतृत्व।
3. संस्कृति और गौरव को पुनर्जीवित करना
राज्याभिषेक समारोह में वैदिक मंत्र, पुरोहितों की उपस्थिति, स्वदेशी शस्त्रों और पोशाकों का प्रयोग – यह सब दिखाता है कि शिवाजी आधुनिकता के साथ संस्कृति का संतुलन कैसे रखते थे। यही संतुलन हम अपने जीवन और व्यवसाय में कैसे लाएँ, यह CoachBSR के ‘Vision to Victory’ मॉडल में सिखाया जाता है।
आज के युवा के लिए शिवाजी महाराज का संदेश:
“स्वराज्य सिर्फ भूखंड नहीं, आत्मबल है। अपने आप को जानो, पहचानो और दुनिया में वह परिवर्तन लाओ जिसकी प्रतीक्षा है।”
BSR का उद्देश्य है — हर युवा को एक ‘विचार योद्धा’ बनाना, जो अपनी सीमाओं को तोड़कर समाज के लिए आदर्श बने।
इस राज्याभिषेक दिवस पर एक संकल्प लें:
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कि हम अपने जीवन का नेतृत्व स्वयं करेंगे।
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कि हम समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाएँगे।
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कि हम भी छोटे स्तर पर अपने जीवन में ‘स्वराज्य’ स्थापित करेंगे — निर्णयों में स्वतंत्रता, विचारों में दृढ़ता और कर्म में साहस।
BSR कहता है:
“राजा वो नहीं जो सिंहासन पर बैठे, राजा वो है जो अपने भीतर के भय को हराकर, हर सुबह अपने जीवन का नेतृत्व करता है।”
🙏 जय भवानी! जय शिवाजी!
हर भारतीय के भीतर बसता है एक ‘छोटा शिवाजी’ — उसे जगाइए।